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स्खलन
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हितेश के मन में एक अजीब सी हलबली मची हुई थी. कैसे न होती. उसके लिए ये सब नया जो था. आज तक उसने ये सब सिर्फ पढ़ा था या टीवी-फिल्म में देखा था. पर आज जब उसकी आँखों ने प्रत्यक्ष देखा तो मूढ़ सा हो गया.
तभी पानी बहने की आवाज़ कान पर पड़ी और उसकी मुढता में जान आई. वो बाथरूम की ऑर लपका. नल बंध कीया और बाहर आया की दारू की गंध नाक को तीव्रता से चुभने लगी. उसने जेब से रुमाल निकाला और कस के मुह पर बांध लिया. पास पड़ी झाड़ू को सफाई के लिए उठाया.
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